बच्चों से ऑनलाइन संवाद की जरूरत 

इस सवाल से हम सब जूझ रहे है कि जब स्कूल तक पहुचना सम्भव न हो तब भी सिखनेसिखाने को कैसे जारी रखा जाये। हमें यह समझाना होगा कि, शिक्षक बच्चों से कई स्तरों पर जुड़ा होता है। जब आमने सामने बैठ कर कक्षाएं न हो रही हों तब संवाद हीनता के बोध से होने वाले भय और उससे उपजने वाली कई आशंकाओं से बचने की जरुरत है। ऑनलाइन कक्षाएं,परंपरागत तौर से होने वाली प्रत्यक्ष कक्षा का स्थान तो नही ले सकती पर जब आमनेसामने की कक्षा संभव न हो तो, इससे उपजी हुई रिक्तता की आंशिक पूर्ति कर सकती है, बशर्ते हम इसके लिए एक सोची समझी रणनीति बनायें।

हम जानते हैं कि पाठ्यक्रम की रचना परपरागत कक्षाओं को ध्यान में रख कर किया गया है। इसलिए समूचे पाठ्यक्रम को हम ऑनलाइन या दूरस्थ शिक्षा से पूरा नहीं कर सकते, बल्कि हमें ध्यानपूर्वक उन पाठ बिन्दुओं का चुनाव करना होगा जिसे इस माध्यम के जरिये भी पढ़ा सकते हैं। जब हम ऑनलाइन संपर्क बनाने की कोशिश करते हैं तब हमे यह भी ध्यान देना होगा कि बच्चो को कितना समझ आ रहा है और हमें सतर्कता पूर्वक बार बार यह जांचना होगा कि हम हर बच्चे से संवाद बना पा रहे हैं या नहीं।

जब आप इस माध्यम का इस्तेमाल कर रहे हों तो बच्चो को ज्यादा से ज्यादा ऐसी गतिविधि करने को कहें, जिसे वे स्वयं कर सके या अपने आस पास मौजूद लोगों के मदद से कर सके। ग्रामीण क्षेत्रों में मोबाइल या कम्पूटर सभी बच्चो के पास नहीं होता है, पर हमारी सफलता की कसौटी ये है कि हम उन बच्चो को कैसे जोड़ पाते हैं जिनके पास ऑनलाइन आने की बहुत कम सुविधाये हैं।

अजय कुमार सिंह

प्रोफेसर, सी..आई..आर.,

टी.आई.एस.एस.